(सुभाष भारती): फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) के खरीफ सत्र में धान का उत्पादन घटकर 10 करोड़ 49.9 लाख टन रह गया जोकि पिछले खरीफ सत्र में 11 करोड़ 17.6 लाख टन का हुआ था।
निर्यात की खेप पर रोक के बावजूद भारत के सुगंधित बासमती और गैर-बासमती चावल का निर्यात वर्तमान वित्त वर्ष के पहले सात माह (अप्रैल-अक्टूबर) में 7.37 प्रतिशत बढक़र 126.97 लाख टन हो गया। उद्योग जगत के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह निर्यात 118.25 लाख टन रहा था। इंडस्ट्री के मुताबिक भारतीय चावल की मांग बनी रहने से यह ग्रोथ उस वक्त भी देखने को मिल रही है जबकि देश में चावल की कुछ किस्मों के निर्यात पर अंकुश था। चावल के उत्पादन में गिरावट को देखते हुए सरकार ने मूल्य को नियंत्रित रखने के लिए चावल की कुछ किस्मों को देश से बाहर भेजने जाने पर प्रतिबंध लगाया था।
इस बारे में ऑल इंडिया एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि चावल की कुछ किस्मों के निर्यात पर अंकुश के बावजूद कुल निर्यात का स्तर अब तक मजबूत बना हुआ है और कुल निर्यात में बासमती चावल का निर्यात 2022-23 की अप्रैल-अक्टूबर अवधि के दौरान बढक़र 24.97 लाख टन हो गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 21.59 लाख टन था। एसो. ने कहा कि समीक्षाधीन अवधि के दौरान गैर-बासमती चावल का निर्यात पहले के 96.66 लाख टन से बढक़र इस बार 102 लाख टन हो गया। बासमती चावल को मुख्य रूप से अमेरिका, यूरोप और साऊदी अरब के पारंपरिक बाजारों में भेजा गया, जबकि गैर-बासमती चावल का निर्यात बड़े पैमाने पर अफ्रीकी देशों को किया जाता है।
सितंबर में चावल की घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने और कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत सीमा शुल्क भी लगाया था। एसो. ने कहा कि सीमा शुल्क लगाए जाने से गैर-बासमती चावल का निर्यात प्रभावित नहीं हुआ है बल्कि निर्यात का स्तर मजबूत रहा। सरकार ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया ताकि उत्पादन में संभावित गिरावट के कारण कीमतों में बढ़ोतरी पर अंकुश लगाया जा सके।
उधर कृषि मंत्रालय के पहले अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) के खरीफ सत्र में धान का उत्पादन घटकर 10 करोड़ 49.9 लाख टन रह गया जोकि पिछले खरीफ सत्र में 11 करोड़ 17.6 लाख टन का हुआ था।