(सुभाष भारती): देश में टूटे चावल की इंडस्ट्री भी बहुत बड़ी है, अब केंद्र सरकार ने पिछले दिनीं टूटे चावल सहित जैविक गैर-बासमती चावल के निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया है तथा सरकार के इस कदम से इस कमोडिटी के निर्यात की खेप को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी। बता दें कि टूटे चावल का उत्पादन बढऩे के चलते दाम नर्म पडऩे के बाद केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है।
सितंबर में सरकार ने लगाया था टूटे चावल के निर्यात पर बैन
सरकार ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से सितंबर की शुरुआत में टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, इसके बाद गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी की ड्यूटी लगाई गई थी जिसका उद्देश्य रिटेल बाजारों में कीमतों के बढऩे के बाद इनकी घरेलू आपूर्ति को बढ़ाना था।
डीजीएफटी ने जारी किया नोटिफिकेशन
एक नोटिफिकेशन में विदेश व्यापार महानिदेशालय ने कहा कि जैविक गैर-बासमती टूटे चावल सहित जैविक गैर-बासमती चावल का निर्यात अब सितंबर में लागू प्रतिबंध से पहले के नियमों द्वारा प्रशासित होगा तथा चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर के दौरान चावल का निर्यात 5.5 अरब डॉलर का रहा। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021-22 में यह 9.7 अरब डॉलर का हुआ था।
सरकारी कदम को बताया सही
अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा, भारत सालाना लगभग 10 हजार से 15 हजार टन जैविक चावल (बासमती और गैर-बासमती) का निर्यात करता है। पिछले 4-5 वर्षों में जैविक बासमती और गैर-बासमती चावल का निर्यात तेजी से बढ़ रहा था और सरकार ने इस प्रतिबंध को हटाकर सही कदम उठाया है। चीन के बाद भारत चावल का सबसे बड़ा प्रोडक्शन करता है और चावल के वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी है, वहीं भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के मैनेजिंग डायरेक्टर अशोक के के मीणा ने 23 नवंबर को कहा था कि सरकार नियमित रूप से आवश्यक वस्तुओं के मूल्य परिदृश्य की निगरानी कर रही है और जरूरत के मुताबिक सुधारात्मक उपाय कर रही है।