(सुभाष भारती): कोरोना काल में तमाम संकटों के बावजूद भारतीय बासमती चावल का पूरी दुनिया में डंका बज रहा है, भारत से बासमती चावल का एक्सपोर्ट 13 फीसदी बढ़ गया है। अप्रैल से नवंबर 2020 के बीच भारत को इसके निर्यात से रिकॉर्ड 20,027 करोड़ रुपये मिले हैं जबकि 2019 की इसी अवधि में एक्सपोर्ट से 17,724 करोड़ रुपये मिले थे। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि मार्च तक बासमती चावल के निर्यात में ऐसी ही वृद्धि कायम रहेगी।
एपिडा से जुड़े बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन के प्रिंसिपल साइंटिस्ट रितेश शर्मा ने बताया कि 2019 में अप्रैल से नवंबर तक 23 लाख 64 हजार मिट्रिक टन चावल एक्सपोर्ट किया गया था जबकि 2020 में इसी दौरान भारत से 30 लाख 47 हजार 500 मिट्रिक टन बासमती चावल निर्यात हुआ।
बासमती चावल का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट
आपको बता दें कि भारत न सिर्फ बासमती चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है बल्कि निर्यातक भी। करीब 25 फीसदी ग्लोबल शेयर के साथ भारत दुनिया का सबसे बड़ा राइस एक्सपोर्ट करने वाला देश है, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश वियतनाम अब हमसे चावल खरीद रहा है।
पिछला रिकॉर्ड देखें तो ईरान और सऊदी अरब बासमती चावल के दो सबसे बड़े इंपोर्टर रहे हैं। भारत के निर्यात में इन दोनों देशों की हिस्सेदारी करीब 40-45 फीसदी रही है, इसके अलावा ईराक, यूएई, कुवैत, यमन, अमेरिका, इंग्लैंड और ओमान में भी बड़े पैमाने पर इस चावल का एक्सपोर्ट होता है।
कब कितने का हुआ निर्यात
भारत में करीब 90 जिलों को बासमती चावल का जीआई टैग मिला हुआ है, इस चावल के मुरीद दुनिया के करीब डेढ़ सौ देश हैं। एपिडा के मुताबिक 2017-18 में 26,870 करोड़ रुपये का बासमती चावल एक्सपोर्ट किया गया जबकि 2018-19 में यह डेढक़र 32,804 करोड़ हो गया, इसी तरह 2019-20 में 31025 करोड़ का एक्सपोर्ट हुआ।
नॉन-बासमती चावल का कितना एक्सपोर्ट?
नॉन-बासमती चावल का एक्सपोर्ट करीब 120 फीसदी बढ़ा है। अप्रैल से नवंबर 2020 के दौरान 70.25 लाख मिट्रिक टन नॉन-बासमती चावल का एक्सपोर्ट हुआ है जबकि इसी दौरान 2019 में सिर्फ 31 लाख मीट्रिक टन चावल बाहर गया था। अगर पैसे में बात करें तो इस अवधि में 2019 के दौरान 9067 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट हुआ जबकि 2020 में कोरोना संकट के बावजूद 19780 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट हुआ है।