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सऊदी अरब की कंपनी हैफेड से 5000 मीट्रिक टन बासमती चावल खरीदेगी
सऊदी अरब की कंपनी हैफेड से 5000 मीट्रिक टन बासमती चावल खरीदेगी
(सुभाष भारती): हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति और विपणन संघ लिमिटेड (हैफेड) को सऊदी अरब के एक प्रमुख आयातक से 5,000 मीट्रिक टन भारतीय सेला बासमती चावल का एक एक्सपोर्ट ऑर्डर मिला है। इस बात की जानकारी हैफेड के प्रवक्ता ने दी है।
हैफेड के अध्यक्ष कैलाश भगत, मैनेजिंग डायरेक्टर ए. श्रीनिवास और सीजीएम आरपी साहनी सहित एक प्रतिनिधिमंडल ने दिसंबर-2021 में चावल के संभावित खरीदारों से मिलने के लिए वहां का दौरा किया था जिसके बाद यह आपूर्ति आदेश प्राप्त हुआ है। बासमती अपने विशिष्ट स्वाद और गुणों की वजह से दुनिया भर में मशहूर है। सऊदी अरब भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा मुरीद है, यहां एक साल में सात हजार करोड़ रुपये से अधिक का बासमती चावल एक्सपोर्ट किया गया है।
प्रवक्ता ने बताया कि हैफेड हरियाणा सरकार का एक शीर्ष सहकारी संघ है, हैफेड राज्य के किसानों की घरेलू और विदेशी बाजार में बिक्री के लिए उनकी उपज का मूल्य वर्धन करके उनकी उपज की खरीद एवं प्रसंस्करण करके उनकी सेवा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस संघ ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 16,000 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार किया। बता दें कि बासमती एक्सपोर्ट में 25 परसेंट शेयर के साथ भारत विश्व का सबसे बड़ा राइस एक्सपोर्टर देश है, यहां से हर साल औसतन 30,000 करोड़ रुपये का बासमती चावल निर्यात होता है।

20 हजार मीट्रिक टन बासमती धान खरीदने का निर्णय
हरियाणा सरकार की ओर से बताया गया है कि नवंबर, 2021 के महीने के दौरान बासमती चावल और अन्य चावल की किस्मों के बाजार मूल्य में अचानक गिरावट आई है। हैफेड द्वारा राज्य के किसान के हितों की रक्षा करने एवं बाजार में स्थिरता स्थापित करने के लिए राज्य की विभिन्न मंडियों से लगभग 20,000 मीट्रिक टन धान की खरीद के लिए निर्णय लिया गया। हैफेड ने भारतीय लंबे चावल, 1121 बासमती सेला और बासमती सेला सहित विभिन्न किस्मों के 870 मीट्रिक टन चावल का एक्सपोर्ट किया है।

हरियाणा बासमती चावल का प्रमुख उत्पादक राज्य
दरअसल, कारोबार के लिहाज से बासमती चावल की खेती भारत के सिर्फ 95 जिलों में ही हो सकती है। सात राज्यों के 95 जिलों को इसका जियोग्राफिकल इंडिकेशन यानी जीआई टैग मिला हुआ है, इनमें पंजाब, हरियाणा, जम्मू, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश शामिल हैं, इसलिए यहां पेड़ पैमाने पर इस धान की खेती होती है और उसका ज्यादातर हिस्सा एक्सपोर्ट हो जाता है जिसका किसानों को भारी लाभ मिलता है।









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