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मध्य प्रदेश के कृषि महाविद्यालय में विकसित की गई गेहूं और चावल की नई किस्मों की भारत के अन्य राज्यों में भी होगी बेहतर पैदावार
मध्य प्रदेश के कृषि महाविद्यालय में विकसित की गई गेहूं और चावल की नई किस्मों की भारत के अन्य राज्यों में भी होगी बेहतर पैदावार
(सुभाष भारती): मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित राज्य सरकार द्वारा संचालित एक कृषि महाविद्यालय में खाद्यान्न की नई किस्में विकसित की गई हैं, जो आने वाले समय में किसानों के लिए काफी लाभदायक होगी, नई विकसित की गई किस्मों में उत्पादक क्षमता भी अधिक होगी साथ ही उनकी गुणवत्ता भी पहले से काफी बेहतर होगी, इससे किसानों की कमाई बढ़ेगी। कृषि महाविद्यालय द्वारा जीरी, गेहूं, चावल और नाइजर फसल की नई किस्में विकसित की गई हैं, यह फसलें मध्य प्रदेश की जलवायु और मिट्टी के लिए उपयुक्त होने के साथ-साथ भारत के अन्य राज्यों में उत्पादन के लिए भी बेहतर होगी, इससे मध्य प्रदेश के किसानों के अलावा अन्य राज्यों के किसानों को भी फायदा होगा।
नई किस्म की जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने बताया कि मध्य प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी इन फसलों की बेहतर पैदावार होगी, वहीं कॉलेज के कुलपति डॉ पीके बिसेन ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (जेएनकेवीवी) ने जीरी और गेहूं की दो किस्में, एक प्रकार का चावल और तीन प्रकार की नाइजर विकसित की हैं, जिन्हें केंद्र द्वारा उत्पादन के लिए उपयुक्त माना गया है और इसे अधिसूचित भी किया गया है।

जल्द ही किसानों के लिए उपलब्ध होगा बीज
कुलपति डॉ. पीके बिसेन ने कहा कि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इस संबंध में तीन जनवरी को गजट नोटिफिकेशन जारी किया था। उन्होंने आगे कहा कि खेतों में उत्पादन के लिए इन नई फसल किस्मों के बीज शीघ्र ही किसानों को उपलब्ध करवाये जाएंगे, इससे फसलों का गुणवत्तापूर्ण उत्पादन सुनिश्चित होगा और किसानों की कमाई बढ़ेगी।

विभिन्न परिस्थितियों में किया गया है बीज का परीक्षण
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक जेएनकेवीवी पर अनुसंधान सेवाओं के निदेशक डॉ. जी.के. कौतु ने कहा कि नई किस्मों को जारी करने से पहले उनके बीजों का तीन के अंतराल में खेतों में उगाकर टेस्ट किया गया, इन बीजों को अलग-अलग राज्यों के विशेष फसल उगाने वाले क्षेत्रों में विभिन्न कृषि-जलवायु स्थितियों में परीक्षण किया गया था। उन्होंने कहा कि इन नई फसलों में उच्च अनाज उपज, बीमारियों के प्रतिरोध, अच्छी अनाज उच्च गुणवत्ता और संक्षिप्त अवधि की फसल के समान कई आकर्षक लक्षण हैं।

इन राज्यों में हो सकता है उत्पादन
उन्होंने कहा कि जीरी की दो नई किस्मों में से, जेओ05-304 महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में उत्पादन के लिए उपयुक्त है, जबकि जेओ 10-506 का उत्पादन ओडिशा, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के पूर्वोत्तर क्षेत्र, असम और मणिपुर में किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि गेहूं की नई किस्में एमपी 1323 और एमपी 1358 और चावल जेआर 10 मध्य प्रदेश के विशेष क्षेत्रों में उगाई जा सकती हैं, वहीं डॉ कौटू ने कहा कि नाइजर (रामटिल) की तीन किस्में जेएनएस 521, जेएनएस 2015-9 और जेएनएस 2016-1115 मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सिंचित और गैर-सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं।









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