(सुभाष भारती): खरीफ मार्केटिंग सीजन 2021-22 के तहत पूरे देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद जारी है. पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में खरीद का काम लगभग पूरा हो चुका है. वहीं बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड में धान खरीद का काम अभी चल रहा है. इसी बीच भारतीय खाद्य निगम के नए ड्राफ्ट के सामने आने से किसान चिंतित हो गए हैं, उन्हें लग रहा है कि एमएसपी पर खरीद में कटौती करने के लिए नए नियम लाए गए हैं।
एफसीआई के नए ड्राफ्ट में अनाज खरीद के लिए गुणवत्ता मानदंडों में बदलाव किया गया है। निगम का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए ड्राफ्ट में नए मानदंडों को शामिल किया गया है। एफसीआई का कहना है कि इन बदलावों से हमारे खाद्यान्नों के लिए वैश्विक बेंचमार्क तय करना है। खरीद एजेंसी का दावा है कि इससे आम लोगों को भी फायदा होगा और उन्हें बेहतर गुणवत्ता वाले अनाज उपलब्ध कराए जा सकेंगे और साथ ही इनका लंबी अवधि तक के लिए भंडारण भी किया जा सकेगा।
गुणवत्ता मानदंडों में किए गए हैं ये बदलाव
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एफसीआई के नए ड्राफ्ट में धान में नमी की स्वीकार्य मात्रा को 17 प्रतिशत से घटाकर 16 प्रतिशत कर दिया गया है। विदेशी पदार्थ की सीमा 2 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत कर दी गई है, वहीं क्षतिग्रस्त और फीके पड़े अनाज की निचली सीमा को 5 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया गया है।
अगर चावल की बात करें तो इसमें टूटे हुए दानों के प्रतिशत को 25 से घटाकर 20 और नमी की मात्रा को 15 से घटाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया है, क्षतिग्रस्त अनाज की सीमा 1 प्रतिशत कम कर दी गई है, वहीं पैदावार में लाल अनाज की अनुमति दी गई है यानी अगर लाल अनाज मिलता है तो खरीद नहीं की जाएगी।
धान और चावल के साथ ही गेहूं के गुणवत्ता मानदंडों में भी बदलाव का प्रावधान है। ड्राफ्ट के मुताबिक गेहूं के दाने में नमी की मात्रा के लिए 14 प्रतिशत की वर्तमान सीमा के मुकाबले 12 प्रतिशत की सिफारिश की गई है। विदेशी पदार्थ की सीमा 0.75 से घटाकर 0.50 प्रतिशत कर दी गई है, थोड़ा क्षतिग्रस्त गेहूं की मात्रा को भी 4 से घटाकर 2 प्रतिशत कर दिया गया है। सूखे और टूटे अनाज की सीमा भी 6 से घटाकर 4 प्रतिशत कर दी गई है।
सभी हितधारकों से की जा रही है चर्चा
कुछ विशेषज्ञों को लगता है कि यह एफसीआई के अनाज खरीद से बचने का एक संकेत हैं। मध्य प्रदेश सरकार के कृषि सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य केदार सिरोही ने हमारे संवाददाता से कहा कि मुझे लगता है कि यह एमएसपी को खत्म करने की साजिश है। एक तरफ एफसीआई खाद्यान्न खरीद मानदंडों को कड़ा कर रहा है लेकिन आयात में ढील दे रहा है। अपने देश में खेती अलग-अलग जलवायु में की जाती है और यहां का भूगोल भी अलग है, ऐसे में गुणवत्ता में भिन्नता रहती है और ऐसे में अगर यह नियम लागू हो जाते हैं तो किसानों को अपनी उपज बेचने में काफी परेशानी आएगी।
सरकारी सूत्रों ने एफसीआई के निर्णय का बचाव किया है। सूत्रों का कहना है कि एफसीआई राज्य सरकारों के साथ खरीद मानदंडों को संशोधित करने के लिए एक ड्राफ्ट पर काम कर रहा है, इसमें राज्य के सभी संबंधित विभाग, किसान, मिल मालिक और अन्य हितधारकों से चर्चा की जा रही है।