(सुभाष भारती): सरकार की गलत नीतियों व प्रदूषण बोर्ड द्वारा अन-नसेसरी कार्रवाई से बंद हुए राइस मिलों के कारण बासमती निर्यात में अब तक 21 प्रतिशत तक की कमी आ चुकी है। इस बीच भारतीय राइस मिलर्स को बड़े नुक्सान का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि पिछले दिनों बासमती चावल के साथ-साथ धान बाजार में भी मामूली सुधार देखने को मिला है लेकिन अभी भी बाजार में उम्मीद के अनुसार सुधार होता दिखाई नहीं दे रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि नव वर्ष में निर्यात मांग में सुधार होने के साथ बाजार में तेजी देखने को मिल सकती है।
चावल व्यापारियों के मुताबिक पिछले दिनों चावल बाजार में 100-150 रूपये का सुधार देखने को मिला और लगभग इतना ही धान के भावों में भी सुधार देखने को मिल रहा है लेकिन अभी तक कोई बड़ी मांग न निकलने से बाजार में उत्साह का माहौल नहीं है। पंजाब के एक बड़े निर्यातक व्यापारी बाल कृष्ण बाली का मानना है कि मंडियों में अब धान की आवक कम हो रही है और किसानों ने ऊँचे भाव की इच्छा में माल रोकना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि चावल उद्योग पिछले कुछ समय से बड़े नुक्सान में इसलिए है क्योंकि पहले तो चावल व्यापारियों ने जल्दबाजी में बहुत ऊँचे भाव पर धान की खरीददारी की और उसके बाद चलते भाव में बिकवाली भी शुरू कर दी। अर्थात इस बार चावल उद्योग ने काफी कमजोरी का प्रदर्शन किया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार हमेशा ही भारतीय बाजार से नैगोसिएट करता है लेकिन ऐसा लगता है कि इस बार भारतीय बाजार ने समय से पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार के समक्ष सरेंडर कर दिया, इसलिए इंडस्ट्री घाटे में चल रही है।
राइस इंडस्ट्री को 500 करोड़ का नुक्सान - गुप्ता
आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर एसो. के अध्यक्ष नाथी राम गुप्ता का कहना है कि निर्यात मांग में देरी होने के कारण अब तक चावल उद्योग को लगभग 500 करोड़ रूपये के घाटे में है। उन्होंने कहा कि हालांकि अभी भी समय है और निर्यात मांग में निरंतरता बनी रहे तो आने वाले दो-तीन माह में इस नुक्सान की पूर्ति हो सकती है। उन्होंने कहा कि फिल्हाल कोई हलचल नहीं है और नये वर्ष के पहले सप्ताह में कुछ सौदों के फाइनल होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि बाजार की दिशा फिल्हाल स्थिर-सी दिखाई देती है लेकिन आने वाले समय में सुधार होने की संभावना है।
10-15 फीसदी सुधरेगी स्थिति - नरेश गोयल
पंजाब के बड़े राइस एक्सपोर्टर नरेश गोयल का मानना है कि चावल निर्यात कमजोर होने के कारण बाजार थोड़ा सुस्त दिखाई दे रहा है लेकिन गल्फ देशों में नवरोज और रमजान पर चावल की मांग बढऩे से आने वाले दिनों में बाजार में 10-15 प्रतिशत तक सुधार होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि पिछले कोविड काल से लेकर अब तक दुनिया भर के लोगों में अच्छी गुणवता के चावल की मांग बढ़ी है और भारत में इस वर्ष कैरी फारवर्ड स्टाक कम है क्योंकि पिछले वर्ष निर्यात काफी मात्रा में बढ़ा था, इन सब कारणों से बासमती का बाजार काफी सुधार में दिखाई दे सकता है।