(सुभाष भारती): भारत का ऑर्गेनिक मार्केट 17 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, आने वाले समय में इसमें और तेजी आने की उम्मीद है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और आंध्र प्रदेश के किसान बड़ी संख्या में जैविक खेती की तरफ रुख कर रहे हैं तथा सरकार भी किसानों को जैविक, पारंपरिक और जीरो बजट प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए अपील कर चुके हैं, लेकिन भारत में 3 प्रतिशत किसान भी इस पद्धति से खेती नहीं कर रहे हैं। 2015-16 की कृषि जनगणना के आंकड़ों के आधार पर 2018-19 के लिए किए गए अनुमान के मुताबिक, भारत में 15.11 करोड़ भूमिधारक किसान हैं।
मध्य प्रदेश में सबसे अधिक जैविक किसान
इसी महीने कृषि मंत्रालय ने संसद में जानकारी दी थी कि 2020-21 में भारत में 43 लाख 38 हजार 495 किसान जैविक खेती कर रहे हैं, इसमें सबसे अधिक किसान मध्य प्रदेश (7 लाख 73 हजार 902) से हैं, इसके अलावा, उत्तराखंड, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र का नंबर है। द हिन्दू बिजनेस लाइन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 38.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन के दायरे में लाया गया है, यह आंकड़े जुलाई-2021 तक के हैं।
लैंड यूज स्टैटिस्टिक्स 2016-17 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्र 328.7 मिलियन हेक्टेयर है, जिसमें से 139.4 मिलियन हेक्टेयर कुल बुवाई क्षेत्र है और 200.2 मिलियन हेक्टेयर सकल फसल क्षेत्र है। कुल बोया गया क्षेत्र कुल भौगोलिक क्षेत्र का 42.4 प्रतिशत है, शुद्ध सिंचित क्षेत्र 68.6 मिलियन हेक्टेयर है। इन आंकड़ों को देखें तो जैविक खेती के तहत काम में आने वाले भूमि काफी कम है।
जैविक खेती के मामले में भारत पहले स्थान पर
भारत सरकार वैश्विक बाजार में जैविक उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दे रही है, लेकिन निर्यात अभी भी बहुत सीमित है। मंत्रालय के अनुसार जैविक किसानों की संख्या में भारत पहले स्थान पर है और जैविक खेती के तहत क्षेत्रफल के मामले में नौवें स्थान पर है। सिक्किम पूरी तरह से जैविक बनने वाला दुनिया का पहला राज्य बना और सरकार के अनुसार त्रिपुरा और उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों ने भी इसी तरह के लक्ष्य निर्धारित किए हैं।
कृषि मंत्रालय ने इस साल मार्च में लोकसभा को बताया था कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान घरेलू बाजार में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ी है। एसोचैम-ईवाई के संयुक्त अध्ययन के अनुसार, घरेलू जैविक बाजार 17 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और जैविक खाद्य बाजार की अनुमानित मांग 2016 में 53.3 करोड़ से 2021 तक 87.1 करोड़ को पार करने की संभावना है।
सरकार किसानों को देती है वित्तीय सहायता
सरकार 2015-16 से परंपरागत कृषि विकास योजना और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है, दोनों योजनाएं जैविक किसानों को शुरू से अंत तक समर्थन पर जोर देती हैं, यानी उत्पादन से लेकर सर्टिफिकेशन और मार्केटिंग तक में मदद की जाती है। जैविक किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोसेसिंग, पैकिंग और मार्केटिंग सहित फसल कटाई प्रबंधन सहायता को इन योजनाओं का एक अभिन्न अंग बनाया गया है।
पीकेवीवाई के तहत किसानों को तीन साल तक 50,000 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करती है, इसमें जैव उर्वरकों, जैव कीटनाशकों, जैविक खाद, खाद, वर्मी-कम्पोस्ट की लागत पर 31,000 रुपए (61 प्रतिशत) डीबीटी के माध्यम से सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में भेजी जाती है।