(सुभाष भारती): बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार द्वारा जारी आदेश के कारण पिछले कुछ दिनों से दिल्ली एनसीआर की लगभग 500 राइस मिलें बंद पड़ी थी आदेश यह दिया गया था कि मिलों की शिफ्ट सिर्फ 8 घंटे की जाएगी ऐसे में चावल बनाने की प्रक्रिया 24 घंटे की होने के कारण मिलों को चला पाना संभव नहीं था।
जारी हुआ 24 घण्टे चलने का आदेश
मिल मालिकों की और अन्य उद्योगों की समस्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद सरकार ने यह आदेश जारी किया है कि चावल मिलें अब 24 घंटा खुल सकेंगी लेकिन इसमें एक पेंच डाल दिया गया है।
क्या है पेंच
पेंच यह है कि प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए सारी लिमिट पूरी तरह से नहीं हटाई गई है तो ऐसे में ऑर्डर यह जारी किया गया है कि चावल मिले बुधवार से लेकर रविवार तक चल सकेंगी लेकिन सोमवार और मंगलवार को मिलों को बंद रखने का आदेश दिया गया है अब इसमें देखने वाली बात यह है कि इस आदेश का कितना फर्क पड़ेगा। इस पर ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन की प्रतिक्रिया आनी शेष है।
क्या होगा धान के भाव पर असर
स्वाभाविक सी बात है कि जब चावल मिल चलेंगे तभी तो धान की डिमांड बढ़ेगी । मंडियों में मिलों की तरफ से जो प्रतिनिधि बैठे हैं वो अच्छी खरीद करेंगे। ऐसे में डिमांड बढऩे के साथ साथ भाव में तेजी आना स्वाभाविक है। एक अनुमान अनुसार यहां से 100-200 की तेजी सभी वैरायटी में आने की उम्मीद है, इस वर्ष चावल के निर्यात के लिए पर्याप्त ऑर्डर प्राप्त हुए हैं। पिछले साल के मुकाबले उत्पादन भी 30 फीसदी तक कम बताया जा रहा है। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अब मार्केट की दिशा पॉजिटिव में जाएगी।
अन्य उद्योगों को भी राहत
अन्य उद्योगों को भी राहत दी गई है। दूध उत्पादन और जीवन रक्षक दवा बनाने वाले कारखाने अब 24 घण्टे चल सकेंगे। पेपर उद्योग और थर्मल पावर प्लांट को भी हफ्ते में 5 दिन चलाने की अनुमति मिल गई है। सीएक्यूएम ने कोर्ट को बताया है कि 40 निरीक्षण दस्ते तैयार किए गये हैं जो कि निरीक्षण और सरपराईज चैक करेंगे।
धान के भाव हुए स्थिर : अब आगे क्या है उम्मीद
पिछले 10 दिन तक लगातार धान के भाव गिरने के बाद अब स्थिर हो गए हैं। बासमती 30 धान जोकि 4530 के टोप भाव तो छूने के बाद अब 3800 से 3900 की रेंज में चल रहा है। धान 1121 भी 4150 का स्तर छूने के बाद अब 3700 से 3900 की रेंज में चल रहा है। बाकी वैरायटी की बात करें तो सब में इसी अनुपात मे कमजोरी आई है लेकिन जानकारों की माने तो अब धान के भाव में तेजी आ सकती है और पुराने भाव फिर से दिख सकते हैं। फसल पिछले वर्षों की तुलना में काफी कमजोर है। सीजन खत्म होने को है और आवकें घटनी शुरू हो गई हैं। सब तथ्यों को देखा जाए तो लंबे समय में मंदी की संभावना कम है।