(सुभाष भारती): दोस्तो धान की कटाई का समय चल रहा है और इस सीजन में किसान के मन में यह सवाल रहता है कि धान को कब बेचा जाए ताकि उसको अपनी फसल का अधिक से अधिक भाव मिल सके। इसी दिशा में हमारी टीम ने मेहनत करके कोशिश की है कि किसान भाईयों को भाव के उतार चढ़ाव की जानकरी सही समय पर मिले जिससे वो सही समय पर अपनी फसल बेच कर ज्यादा से ज्यादा फायदा ले सकें।
दोस्तों धान का बाजार शेयर मार्किट की तरह होता है इसमें कब तेजी या मंदी आ जाये इसका अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल काम है। आज हम इसी पर थोड़ा विचार करेंगे कि बासमती धान के भाव में आखिर इतना उतार-चढ़ाव क्यों हो रहा है। इसका अंदाजा लगाने के लिए मार्किट के माहौल को जानना जरुरी है।
मार्किट का माहौल
पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष बासमती धान 1121 के भाव 40 से 45 प्रतिशत अधिक बोले जा रहे हैं। इस वजह से बासमती चावल के भाव 1200 से 1300 रुपए प्रति क्विंटल तेज हुए हैं । 1121 धान के भाव हरियाणा में 3900 से 4100 पंजाब में 3850 से 4050 रुपए के भाव बोले जा रहे हैं। इसी वजह से चावल के भाव काफी ऊंचे खुले हैं। कोहिनूर बरांड भाव 9400, तिबार 8200, इंडिया गेट 8800 जबकि दावत 8800 रुपए क्विंटल के भाव बताए गए। सर्वाधिक उल्लेखनीय है कि अमृतसर में बासमती चावल के भाव 8250 से 8350 रुपए बोले जा रहे हैं, चालू सीजन की धान की आवक पंजाब हरियाणा में 50 से 60 प्रतिशत आ चुकी है और 40 से 50 प्रतिशत आना बाकी है।
ईरान से खबर
ईरान से निर्यात की चर्चा ने जोर पकड़ा है। ईरान ने बासमती के आयात से सीजऩल बैन हटा लिया है ऐसे में यदि निर्यात सौदे होते हैं तब तो चावल मिलों को राहत मिल जाएगी, अन्यथा तेजी का गुब्बारा फूट भी सकता है। पाकिस्तानी निर्यातक ईरान से सौदे करने की कोशिशें में जुटे हैं जैसा कि सबको पता है कि भारत के बासमती चावल के निर्यात में समस्या यह है कि ईरान से अमेरिका के संबंध ठीक नहीं है। जिसके चलते ये देश क्रूड तेल की बिकवाली नहीं कर पा रहा है तथा ईरान के सामने भुगतान की समस्या हमेशा खड़ी रहती है। हालांकि बार्डर सिस्टम का उपयोग कर आयात निर्यात व्यापार थोड़ा-बहुत चलता रहता है। पहले भारत तेल लेकर बदले में बासमती चावल देता था लेकिन अमेरिका के ईरान-इराक से संबंध खराब होने की वजह से भारत भी कच्चा तेल इन देशों से नहीं खरीद रहा है। ऐसी स्थिति में लाखों टन बासमती चावल निर्यात कर भुगतान लेने में बहुत लंबा समय लग जाता है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे हालात कई बार बन चुके हैं हालांकि भारत सरकार के दबाव के चलते भुगतान आए हैं। मार्केट की खबरों को माने तो खबर है कि 23 नवंबर तक निर्यात शुरू होगा या नहीं इस संबंध में कुछ फाइनल हो जाने की उम्मींद है।
पाकिस्तान से खबर
पाकिस्तान मे बासमती फसल की आवक भारत से 15 दिन बाद शुरू होती है। वहाँ के माहौल की बात करें तो इस बार न केवल फसल जोरदार है, भाव भी भारत के मुकाबले कम है। पाकिस्तान में अब धान की आवक शुरू हो गई है। पैदावार भी अच्छी है। वहाँ पर धान के भाव में इतनी तेजी भी नहीं आई है। ऐसे में निर्यात सौदे होने के अधिक अवसर है। इसके अलावा पाकिस्तान भुगतान के बदले क्रूड तेल का आयात भी कर सकता है। पाकिस्तान जैसे देश इन्हीं देशों से क्रूड तेल की खरीद रहे हैं। ऐसे में बासमती चावल सस्ता होने के कारण ईरान, पाकिस्तान से आयात करना अधिक पसंद करेंगे क्योंकि चावल की क्वालिटी समान है और भाव भी भारत के मुकाबले कम होंगे।
चावल की मांग में बढ़ौतरी से
भारत सरकार ने भी कोरोना काल में लगाए गए प्रतिबंधों को हटा लिया है। वैवाहिक सीजन शुरू हो गए हैं। भारत में विवाह समारोह के अवसरों पर बड़ी संख्या में आमंत्रण दिए जाने की प्रथा है। इससे न केवल दाल-चावल अपितु भोजन में लगने वाले सभी अनाजों की मांग में बढ़ेगी। कुछ साल पहले की बात करें तो स्टीम चावल का चलन अधिक था और सेला का कम। आजकल होटल, ढाबों, मुस्लिम समाज एवं खाड़ी देशों में सेला चावल का चलन 60 से 70 प्रतिशत हो गया है। स्टीम चावल का चलन कम है। मुस्लिम आबादी में सेला चावल का ही सर्वाधिक चलन है। वैवाहिक समारोह में भी सेला चावल का उपयोग ज्यादा किया जा रहा हैं। क्योंकि इसके फूलने से प्लेट भरी-भरी दिखाई देती है और चावल टूटता भी नहीं है। हालांकि लोकल बाजार में ग्राहकी ज्यादा मजबूत नहीं दिख रही है। कोरोना के प्रतिबंध हटने से आने वाले दिनों में जीवन किस तरह पटरी पर आता है, यह देखने वाली बात है। अब काम-धंधे खुल रहे हैं और बाजारों में पूंजी का प्रवाह बढऩे की उम्मीद है।
1401 चावल की खप्त अधिक है
पंजाब में धान परम्परागत (ओरिजनल, बासमती 30) की आवक शुरू हो गई है। फिलहाल इसके भाव 4000 से 4400 रुपए खुले हैं। इस साल इसमे उतना उत्साह नहीं दिखा है इसके अलावा के समान धान 1401 की आवक भी शुरू हो गई है। इसके भाव 3400 से 3600 रुपए तक बोले गए हैं पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष इनमें भी तेजी है इसका चावल घरेलू उपयोग में अधिक पसंद किया जा रहा है। सामन्यत: बासमती 1121 से इस चावल के भाव 800 से 1000 रुपए क्विंटल कम होते हैं। यह परंपरागत बासमती में भी कभी-कभी चल जाता है। चावल बारीक और लंबा बनता है। महाराष्ट्र में 1401 चावल का चलन काफी बढ़ गया है। यूरोपीय देशों में ट्रेडिशनल के बजाय 1401 को सेला पसंद किया जाने लगा है। भारत में भी यह पहली पसंद बनता जा रहा है।
आगे क्या
मौजूदा मार्किट के माहौल को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि धान 1121 भाव 4200 और 1718 में 4100 तक की रेंज आराम से बन सकती है जहाँ तक पीबी-1 की बात है 3500 तक के भाव कोई बड़ी बात नहीं होगी। बासमती में हमने शुरू से ही 5000 रूपए का एक्सपेक्ट किया था और अभी भी यही लग रहा है कि ये भाव अब ज्यादा दूर नहीं हैं।
व्यापारियों से अपील -
चावलों में चल रही तेजी को देखते हुए व्यापारी अपना आपा न खोयें तथा व्यापार सावधानी से करें।