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बासमती चावलों में आई तेजी से किसान मालोमाल, व्यापारियों के भी खिले चेहरे
बासमती चावलों में आई तेजी से किसान मालोमाल, व्यापारियों के भी खिले चेहरे
(सुभाष भारती): बासमती चावल की कीमत में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष लगभग 40 फीसदी का इजाफा हुआ है, जबकि बंगाल के चावल की कीमतों में लगभग 30 फीसदी का इजाफा हुआ है।
पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि ने पहले ही लोगों का बजट बिगाड़ रखा था अब बासमती चावल ने भी लोगों की नींद उड़ानी शुरू कर दी है और चावल की बढ़ी कीमतों का असर लोगों की थाली पर पडऩा शुरू हो गया है। खुदरा बाजार से लेकर थोक बाजार तक सभी में बासमती चावल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। बासमती चावल की कीमतों में यह वृद्धि भारी बारिश के कारण नष्ट हुई फसलों और निर्यात बढऩे के कारण हुई है. इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का असर भी बाजार पर हुआ है।
चावल व्यापारियों ने बताया कि पश्चिम बंगाल चावल उत्पादन के मामले में नंबर वन राज्य है. पश्चिम बगाल में मिनीकेट राइस की बहुत ही मांग होती है, लेकिन इस वर्ष बेमौसम हुई बारिश के कारण लगभग 20-25 फीसदी फसल नष्ट हो गयी है, इसी कारण चावल की कीमतों में लगभग 30 फीसदी बृद्धि दर्ज की गई है।

बासमती चावल की कीमतों में 40 फीसदी का हुआ इजाफा
चावल व्यापारियों ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस साल बासमती चावल की कीमतों में लगभग 40 फीसदी इजाफा हुआ है. बासमती की फसल हरियाणा और पंजाब में ज्यादा होती है, लेकिन भारी बारिश के कारण लगभग 25 फीसदी फसल नष्ट हो गयी है. इसके साथ ही इस साल सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाए हैं, इस कारण किसानों ने बासमती की जगह उन फसलों की पैदावार की है जिसे सरकार खरीद रही है, क्योंकि उन्हें अच्छी कीमत मिल रही है। उन्होंने कहा कि पछले वर्ष 1509 ग्रेड बासमती धान का रेट 2200 से लेकर 2250 रूपये रहा, इस वर्ष बढक़र 2800 से 3000 रूपये तक बिक रहा है।
देश के प्रमुख चावल व्यापारियों ने बताया कि बांग्लादेश में कोविड-19 के कारण चावल की बहुत की जरूरत थी, भारत से बांग्लादेश को होने वाला चावल निर्यात लगभग 10 फीसदी बढ़ गया है, चावल की बढ़ती मांग के मद्देनजर बांग्लादेश सरकार ने आयात शुल्क 60 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी कर दी है. इसके बावजूद भी बांग्लादेश में आयात शुल्क और घटाने की मांग हो रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कोरोना महामारी के कारण राशन दुकानों से गरीबों को नि:शुल्क चावल देने का भी प्रभाव बाजार की कीमतों पर पड़ा है, क्योंकि सरकार बाजार से अधिक मात्रा में चावल की खरीदारी कर रही है, इसका असर भी बाजार पर पड़ा है।









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